Prime Minister’s Office
Text of PM’s address at Vijaya Dashami celebrations in Dwarka, Delhi
Posted On: 24 OCT 2023 7:44PM by PIB Delhi
सिया वर रामचंद्र की जय,
सिया वर रामचंद्र की जय,
मैं समस्त भारतवासियों को शक्ति उपासना पर्व नवरात्र और विजय पर्व विजयादशमी की अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। विजयादशमी का ये पर्व, अन्याय पर न्याय की विजय, अहंकार पर विनम्रता की विजय और आवेश पर धैर्य की विजय का पर्व है। ये अत्याचारी रावण पर भगवान श्री राम की विजय का पर्व है। हम इसी भावना के साथ हर वर्ष रावण दहन करते हैं। लेकिन सिर्फ इतना ही काफी नहीं है। ये पर्व हमारे लिए संकल्पों का भी पर्व है, अपने संकल्पों को दोहराने का भी पर्व है।
मेरे प्यारे देशवासियों,
हम इस बार विजयादशमी तब मना रहे हैं, जब चंद्रमा पर हमारी विजय को 2 महीने पूरे हुए हैं। विजयादशमी पर शस्त्र पूजा का भी विधान है। भारत की धरती पर शस्त्रों की पूजा किसी भूमि पर आधिपत्य नहीं, बल्कि उसकी रक्षा के लिए की जाती है। नवरात्र की शक्तिपूजा का संकल्प शुरू होते समय हम कहते हैं- या देवी सर्वभूतेषू, शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम: । जब पूजा पूर्ण होती है तो हम कहते हैं- देहि सौभाग्य आरोग्यं, देहि मे परमं सुखम, रूपं देहि, जयं देहि, यशो देहि, द्विषोजहि! हमारी शक्ति पूजा सिर्फ हमारे लिए नहीं, पूरी सृष्टि के सौभाग्य, आरोग्य, सुख, विजय और यश के लिए की जाती है। भारत का दर्शन और विचार यही है। हम गीता का ज्ञान भी जानते हैं और आईएनएस विक्रांत और तेजस का निर्माण भी जानते हैं। हम श्री राम की मर्यादा भी जानते हैं और अपनी सीमाओं की रक्षा करना भी जानते हैं। हम शक्ति पूजा का संकल्प भी जानते हैं और कोरोना में ‘सर्वे संतु निरामया’ का मंत्र भी मानते हैं। भारत भूमि यही है। भारत की विजयादशमी भी यही विचार का प्रतीक है।
साथियों,
आज हमें सौभाग्य मिला है कि हम भगवान राम का भव्यतम मंदिर बनता देख पा रहे हैं। अयोध्या की अगली रामनवमी पर रामलला के मंदिर में गूंजा हर स्वर, पूरे विश्व को हर्षित करने वाला होगा। वो स्वर जो शताब्दियों से यहां कहा जाता है- भय प्रगट कृपाला, दीनदयाला…कौसल्या हितकारी । भगवान राम की जन्मभूमि पर बन रहा मंदिर सदियों की प्रतीक्षा के बाद हम भारतीयों के धैर्य को मिली विजय का प्रतीक है। राम मंदिर में भगवान राम के विराजने को बस कुछ महीने बचे हैं। भगवान श्री राम बस, आने ही वाले हैं। और साथियों, उस हर्ष की परिकल्पना कीजिए, जब शताब्दियों के बाद राम मंदिर में भगवान राम की प्रतिमा विराजेगी। राम के आने के उत्सव की शुरुआत तो विजयादशमी से ही हुई थी। तुलसी बाबा रामचरित मानस में लिखते हैं – सगुन होहिं सुंदर सकल मन प्रसन्न सब केर। प्रभु आगवन जनाव जनु नगर रम्य चहुं फेर। यानि जब भगवान राम का आगमन होने ही वाला था, तो पूरी अयोध्या में शगुन होने लगे। तब सभी का मन प्रसन्न होने लगा, पूरा नगर रमणीक बन गया। ऐसे ही शगुन आज हो रहे हैं। आज भारत चंद्रमा पर विजयी हुआ है। हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं। हमने कुछ सप्ताह पहले संसद की नई इमारत में प्रवेश किया है। नारी शक्ति को प्रतिनिधित्व देने के लिए संसद ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित किया है।
भारत आज विश्व की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी के साथ, सबसे विश्वस्त डेमोक्रेसी के रूप में उभर रहा है। और दुनिया देख रही है ये Mother of Democracy. इन सुखद क्षणों के बीच अयोध्या के राम मंदिर में प्रभु श्री राम विराजने जा रहे हैं। एक तरह से आजादी के 75 साल बाद, अब भारत के भाग्य का उदय होने जा रहा है। लेकिन यही वो समय भी है, जब भारत को बहुत सतर्क रहना है। हमें ध्यान रखना है कि आज रावण का दहन बस एक पुतले का दहन ना हो, ये दहन हो हर उस विकृति का जिसके कारण समाज का आपसी सौहार्द बिगड़ता है। ये दहन हो उन शक्तियों का जो जातिवाद और क्षेत्रवाद के नाम पर मां भारती को बांटने का प्रयास करती हैं। ये दहन हो उस विचार का, जिसमें भारत का विकास नहीं स्वार्थ की सिद्धि निहित है। विजयादशमी का पर्व सिर्फ रावण पर राम की विजय का पर्व नहीं, राष्ट्र की हर बुराई पर राष्ट्रभक्ति की विजय का पर्व बनना चाहिए। हमें समाज में बुराइयों के, भेदभाव के अंत का संकल्प लेना चाहिए।
साथियों,
आने वाले 25 वर्ष भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। पूरा विश्व आज भारत की ओर नजर टिकाए हमारे सामर्थ्य को देख रहा है। हमें विश्राम नहीं करना है।रामचरित मानस में भी लिखा है- राम काज कीन्हें बिनु, मोहिं कहां विश्राम हमें भगवान राम के विचारों का भारत बनाना है। विकसित भारत, जो आत्मनिर्भर हो, विकसित भारत,जो विश्व शांति का संदेश दे, विकसित भारत, जहां सबको अपने सपने पूरे करने का समान अधिकार हो, विकसित भारत, जहां लोगों को समृद्धि और संतुष्टि का भाव दिखे। राम राज की परिकल्पना यही है,राम राज बैठे त्रैलोका, हरषित भये गए सब सोका यानि जब राम अपने सिंहासन पर विराजें तो पूरे विश्व में इसका हर्ष हो और सभी के कष्टों का अंत हो। लेकिन, ये होगा कैसे? इसलिए मैं आज विजयादशमी पर प्रत्येक देशवासी से 10 संकल्प लेने का आग्रह करूंगा।
पहला संकल्प- आने वाली पीढ़ियों का ध्यान रखते हुए हम ज्यादा से ज्यादा पानी बचाएंगे।
दूसरा संकल्प- हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को डिजिटल लेन-देन के लिए प्रेरित करेंगे।
तीसरा संकल्प-हम अपने गांव और शहर को स्वच्छता में सबसे आगे ले जाएंगे।
चौथा संकल्प-हम ज्यादा से ज्यादा Vocal For Local के मंत्र को फॉलो करेंगे, मेड इन इंडिया प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल करेंगे।
पांचवा संकल्प- हम क्वालिटी काम करेंगे और क्वालिटी प्रॉडक्ट बनाएंगे, खराब क्वालिटी की वजह से देश के सम्मान में कमी नहीं आने देंगे।
छठा संकल्प-हम पहले अपना पूरा देश देखेंगे, यात्रा करेंगे, परिभ्रमण करेंगे और पूरा देश देखने के बाद समय मिले तो फिर विदेश की सोचेंगे।
सातवां संकल्प-हम नैचुरल फार्मिंग के प्रति किसानों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करेंगे ।
आठवां संकल्प- हम सुपरफूड मिलेट्स को-श्रीअन्न को अपने जीवन में शामिल करेंगे। इससे हमारे छोटे किसानों को और हमारी अपनी सेहत को बहुत फायदा होगा।
नवां संकल्प- हम सब व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए योग हो, स्पोर्ट्स हो, फिटनेस को अपने जीवन में प्राथमिकता देंगे।
और दसवां संकल्प-हम कम से कम एक गरीब परिवार के घर का सदस्य बनकर उसका सामाजिक स्तर बढ़ाएंगे।
जब तक देश में एक भी गरीब ऐसा है जिसके पास मूल सुविधाएं नहीं हैं, घर-बिजली-गैस-पानी नहीं है, इलाज की सुविधा नहीं है, हमें चैन से नहीं बैठना है। हमें हर लाभार्थी तक पहुंचना है, उसकी सहायता करनी है। तभी देश में गरीबी हटेगी, सबका विकास होगा। तभी भारत विकसित बनेगा। अपने इन संकल्पों को हम भगवान राम का नाम लेते हुए पूर्ण कर पाएं, विजयादशमी के इस पावन पर्व पर देशवासियों को मेरी इसी कामना के साथ अनेक-अनेक शुभकामनाएं। राम चरित मानस में कहा गया है- बिसी नगर कीजै सब काजा, हृदय राखि कोसलपुर राजा यानि भगवान श्री राम के नाम को मन में रखकर हम जो संकल्प पूरा करना चाहेंगे, हमें उसमें सफलता अवश्य मिलेगी। हम सब भारत के संकल्पों के साथ उन्नति के पथ पर बढ़ें, हम सब भारत को श्रेष्ठ भारत के लक्ष्य तक पहुंचाएं। इसी कामना के साथ, आप सभी को विजयादशमी के इस पावन पर्व की मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं।
सिया वर रामचंद्र की जय,
सिया वर रामचंद्र की जय।
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