Prime Minister’s Office
Text of PM’s speech at launch of various development works in Ramagundam, Telangana
Posted On: 12 NOV 2022 8:18PM by PIB Delhi
भारत माता की जय।
भारत माता की जय।
भारत माता की जय।
ई सभकु, विच्च्चे-सिना रइतुलु,
सोदरा, सोदरी-मनुलकु, नमस्कार-मुलु।
तेलंगाना की गवर्नर डॉक्टर तमिलिसाई सौंदरराजन जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी श्री किशन रेड्डी जी, भगवंत खूबा जी, संसद में मेरे साथी बंदी संजय कुमार जी, श्री वेंकटेश नेथा जी, अन्य महानुभाव, भाइयों और बहनों।
रामागुंडम की धरती से पूरे तेलंगाना को मेरा आदरपूर्वक नमस्कार! और अभी मुझे बताया गया और मैं अभी टीवी स्क्रीन पर भी देख रहा था कि इस समय तेलंगाना की 70 विधानसभा क्षेत्रों में, 70 assembly segment में, हजारों किसान भाई-बहन वे भी इस कार्यक्रम में हमारे साथ जुड़े हुए हैं। मैं उन सभी किसान भाइयों-बहनों को भी उनका स्वागत करता हूं, उनका अभिनंदन करता हूं।
साथियों,
आज 10 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक की विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास तेलंगाना के लिए हुआ है। ये परियोजनाएं यहां खेती और उद्योग, दोनों को बल देने वाली हैं। फर्टिलाइज़र प्लांट हो, नई रेल लाइन हो, हाईवे हों, इनसे उद्योगों को भी विस्तार मिलेगा। इन परियोजनाओं से तेलंगाना में रोज़गार के नए अवसर बनेंगे, सामान्य जन की Ease of Living भी बढ़ेगी। इन सभी परियोजनाओं के लिए देशवासियों को, तेलंगाना वासियों को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
साथियों,
पिछले दो-ढाई साल से पूरा विश्व कोरोना महामारी से लड़ रहा है, दूसरी तरफ जो संघर्ष चल रहे हैं, तनाव चल रहे हैं, मिलिट्री एक्सन हो रहे हैं, उसका परिणाम भी, उसका प्रभाव भी देश और दुनिया पर पड़ रहा है। लेकिन इन विपरीत परिस्थितियों के बीच आज हम सभी पूरी दुनिया में एक और बात प्रमुखता से सुन रहे हैं। दुनिया के तमाम एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि भारत बहुत जल्द दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनॉमी बनकर के, उस दिशा में तेज गति से आगे बढ़ रहा हैं। सभी एक्सपर्ट्स यह भी कह रहें हैं कि जितनी ग्रोथ 90 के बाद के 30 साल में हुई, उतनी अब सिर्फ कुछ ही वर्षों में होने वाली है। आखिर इतना अभूतपूर्व विश्वास आज दुनिया को, आर्थिक जगत के विद्वानों को इतना विश्वास आज भारत पर क्यों है? इसका सबसे बड़ा कारण है भारत में पिछले 8 वर्ष में हुआ बदलाव। पिछले 8 सालों में देश ने काम करने के पुराने तौर-तरीके बदल डाले हैं। इन 8 वर्षों में गवर्नेंस को लेकर सोच में भी बदलाव आया है, अप्रोच में भी बदलाव आया है। चाहे इंफ्रास्ट्रक्चर हो, चाहे सरकारी प्रक्रियाएं हो, चाहे Ease of Doing Business हो, इन बदलावों को प्रेरित कर रही हैं भारत की Aspirational Society, आज विकसित होने की आकांक्षा लिए, आत्मविश्वास से भरा हुआ नया भारत दुनिया के सामने है।
भाइयों और बहनों,
विकास हमारे लिए 24 घंटे, सातों दिन, 12 महीने और पूरे देश में चलने वाला मिशन है। हम एक प्रोजेक्ट का लोकार्पण करते हैं, तो अनेक नए प्रोजेक्ट पर काम करना शुरु कर देते हैं। ये हम आज यहां भी देख रहे हैं। और हमारा ये भी प्रयास होता है कि जिस प्रोजेक्ट का शिलान्यास हो, उस पर तेजी से काम हो, और वो तेजी से पूरा हो। रामागुंडम का ये फर्टिलाइज़र कारखाना इसका एक उदाहरण है। साल 2016 में इसका शिलान्यास किया था और आज इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया गया है।
भाइयों और बहनों,
21वीं सदी का भारत, बड़े लक्ष्यों को तय करके, उन्हें तेजी से प्राप्त करके ही आगे बढ़ सकता है। और आज जब लक्ष्य बड़े होते हैं, तो नई पद्धति अपनानी होती है, नई व्यवस्थाएं बनानी होती हैं। आज केंद्र सरकार पूरी ईमानदारी से इसी प्रयास में जुटी है। देश का फर्टिलाइजर सेक्टर भी इसका गवाह बन रहा है। बीते दशकों में हमने देखा है कि देश फर्टिलाइज़र के लिए ज्यादातर विदेशों पर इंपोर्ट करके उसी पर हम अपना गुज़ारा करते थे। यूरिया की डिमांड पूरी करने के लिए जो कारखाने लगे भी थे, वो भी टेक्नॉलॉजी पुरानी होने के कारण बंद हो चुके थे। जिसमें रामागुंडम का खाद कारखाना भी था। इसके अलावा एक और बड़ी दिक्कत थी। इतना महंगा यूरिया विदेश से आता था, लेकिन वो किसान तक पहुंचने के बजाय अवैध कारखानों में चोरी करके पहुंचाया जाता था। इससे किसानों को यूरिया पाने के लिए ही रात-रात भर कतारों में खड़ा रहना पड़ता था और कई बार लाठियां भी झेलनी पड़ती थीं। 2014 से पहले हर साल, हर सीज़न में यही समस्या किसानों के सामने आती थी।
साथियों,
2014 के बाद केंद्र सरकार ने पहला काम ये किया कि यूरिया की शत-प्रतिशत नीम कोटिंग कर दी। इससे यूरिया की कालाबाज़ारी रुक गई। केमिकल की फैक्ट्री में जो यूरिया पहुंच जाता था वो बंद हो गया। खेत में कितना यूरिया डालना है, ये पता करने के लिए भी किसान के पास बहुत सुविधा नहीं थी, रास्ते नहीं थे। इसलिए हमने किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड देने का पूरे देश में अभियान किया। सॉयल हेल्थ कार्ड मिलने से किसान को ये जाऩकारी मिली, की भई अगर हमें उपज़ बढ़ानी है तो बेवजह यूरिया के उपयोग की जरूरत नहीं है, उसको मिट्टी के स्वभाव का पता चलने लगा।
साथियों,
एक बहुत बड़ा काम हमने यूरिया में आत्मनिर्भरता को लेकर शुरु किया। इसके लिए देश के जो 5 बड़े खाद कारखाने बरसों से बंद पड़े थे, उनको फिर से शुरु करना जरूरी था। अब आज देखिए यूपी के गोरखपुर में खाद उत्पादन शुरु हो चुका है। रामागुंडम खाद कारखाने का भी लोकार्पण हो गया है। जब ये पांचों कारखानें चालू हो जाएंगे तो देश को 60 लाख टन यूरिया मिलने लगेगा। यानि हज़ारों करोड़ रुपए विदेश जाने से बचेंगे और किसानों को यूरिया और आसानी से मिलेगा। रामागुंडम खाद कारखाने से तेलंगाना के साथ ही आंध्र प्रदेश, कर्नाटका, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के किसानों को भी मदद मिलेगी। इस प्लांट की वजह से इसके आसपास दूसरे बिजनेस के अवसर भी बनेंगे, लॉजिस्टिक और ट्रांसपोर्ट से जुड़े काम खुलेंगे। यानि 6 हज़ार करोड़ रुपए जो केंद्र सरकार ने यहां निवेश किया है, इससे कई हज़ार करोड़ का लाभ तेलंगाना के नौजवानों को होने वाला है।
भाइयों और बहनों,
देश के फर्टिलाइजर सेक्टर को आधुनिक बनाने के लिए हम नई टेक्नॉलॉजी पर भी उतना ही बल दे रहे हैं। भारत ने यूरिया की नैनो टेक्नॉलॉजी विकसित की है। एक बोरी यूरिया से जो लाभ होता है, वो नैनो यूरिया की एक बोतल से ही मिलने वाला है।
साथियों,
खाद में आत्मनिर्भरता कितनी आवश्यक है, ये हम आज की वैश्विक परिस्थिति को देखते हुए और ज्यादा अनुभव कर रहे हैं। कोरोना आया, लड़ाई छिड़ी तो, दुनिया में फर्टिलाइजर की कीमत बढ़ गई। लेकिन हमने इन बढ़ी कीमतों का बोझ अपने किसान भाइयों-बहनों पर नहीं पड़ने दिया। यूरिया का हर बैग जो केंद्र सरकार विदेश से लाती हैं वो लगभग एक बोरा, एक बोरी फर्टिलाइजर बाहर से लाते हैं तो 2 हज़ार रुपए में खरीदते हैं, भारत सरकार 2 हज़ार रूपये देकर के लाती हैं। लेकिन किसानों से 2 हज़ार रूपये नहीं लेते हैं। सारा खर्च भारत सरकार उठाती है, सिर्फ 270 रुपए में ये फर्टिलाइजर की थैली किसान को मिलती है। इसी प्रकार DAP का एक बैग भी सरकार को करीब-करीब 4 हजार रुपए में पड़ता है। लेकिन किसानों से 4 हज़ार रूपये नहीं लेते हैं। इस एक बैग पर भी सरकार, एक-एक बैग पर ढ़ाई हजार रुपए से भी ज्यादा सब्सिडी सरकार देती है।
साथियों,
बीते 8 वर्षों में किसान को सस्ती खाद देने के लिए ही केंद्र सरकार ये आंकड़ा भी याद रखना भाइयों बताना लोगों को 8 वर्ष में किसान को खाद का बोझ न बढ़े, उसको सस्ती खाद मिले, इसलिए साढ़े नौ लाख करोड़ रुपए यानि करीब़-करीब़ 10 लाख करोड़ रूपये भारत सरकार खर्च कर चुकी है। इस वर्ष ही केंद्र सरकार ढाई लाख करोड़ रुपए से ज्यादा किसानों को सस्ती खाद देने के लिए खर्च करेगी। ढाई लाख करोड़ रुपया। इसके अलावा हमारी सरकार पीएम किसान सम्मान निधि के तहत भी लगभग सवा 2 लाख करोड़ रुपए सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर कर चुकी है। किसानों के हितों को सर्वोपरि रखने वाली जब सरकार दिल्ली में हैं तो किसानों की भलाई के लिए अनेक ऐसे प्रकल्पों को आगे बढ़ाते हैं, काम करते हैं।
साथियों,
दशकों से हमारे देश के किसान खाद से जुड़ी एक और समस्या से भी जूझ रहे थे। दशकों से खाद का ऐसा बाज़ार बन गया था, जिसमें भांति-भांति के फर्टिलाइज़र, भांति-भांति फर्टिलाइज़र के ब्रांड ये बाजार में बिकते थे। इस वजह से किसान के साथ धोखाधड़ी भी बहुत होती थी। अब केंद्र सरकार ने इससे भी किसानों को राहत देने की शुरुआत की है। अब देश में यूरिया का सिर्फ, सिर्फ और सिर्फ एक ही ब्रांड होगा, भारत यूरिया-भारत ब्रांड। इसकी कीमत भी तय है और क्वालिटी भी तय है। ये सारे प्रयास इस बात का प्रमाण हैं कि देश के किसानों, विशेष रूप से छोटे किसानों के लिए कैसे हम सिस्टम को रिफॉर्म कर रहे हैं।
साथियों,
हमारे देश में एक और चुनौती कनेक्टिविटी के इंफ्रास्ट्रक्चर की रही है। आज देश इस कमी को भी दूर कर रहा है। देश के सभी राज्यों में हाईवे, आधुनिक रेलवे, एयरपोर्ट्स, वॉटरवेज़ और इंटरनेट हाईवे पर तेजी से काम हो रहा है। अब इसे पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान से नई ऊर्जा मिल रही है। आप याद करिए पहले क्या होता था? उद्योगों के लिए स्पेशल जोन डिक्लेयर होते थे। लेकिन वहां तक सड़क, बिजली, पानी जो प्राथमिक सुविधाएं चाहिए, वो भी पहुंचाने में कई-कई साल लग जाते थे। अब इस कार्यशैली को हम बदल रहे हैं। अब इंफ्रा प्रोजेक्ट्स पर सभी स्टेकहोल्डर और प्रोजेक्ट से जुड़ी सभी एजेंसियां एक साथ मिलकर, एक तय रणनीति पर काम करते हैं। इससे प्रोजेक्ट्स के लटकने-भटकने की संभावना खत्म हो रही है।
साथियों,
भद्राद्रि कोत्तागुडेम ये जिला और खम्मम जिले को जोड़ने वाली नई रेल लाइन आज आपकी सेवा के लिए समर्पित है। इस रेल लाइन से यहां के स्थानीय लोगों को तो लाभ होगा ही, पूरे तेलंगाना को भी लाभ होगा। इससे तेलंगाना के बिजली सेक्टर को लाभ होगा, उद्योगों को लाभ होगा और नौजवानों के लिए रोज़गार के नए अवसर बनेंगे। निरंतर प्रयासों के कारण 4 साल में ये रेल लाइन बनकर भी तैयार है और बिजलीकरण भी हो चुका है। इससे कोयला कम खर्च में बिजली कारखाने तक पहुंच पाएगा और प्रदूषण भी कम होगा।
साथियों,
आज जिन 3 हाईवे के चौड़ीकरण का काम शुरू हुआ है, उससे कोयला बेल्ट, औद्योगिक बेल्ट और गन्ना किसानों को सीधा लाभ होगा। यहां तो हल्दी की पैदावार बढ़ाने में भी हमारे किसान भाई-बहन जुटे हुए हैं। गन्ना किसान हों, हल्दी पैदा करने वाले किसान हों, यहां सुविधाएं बढ़ेंगी तो उनके लिए अपनी उपज का ट्रांसपोर्टेशन आसान होगा। इसी प्रकार कोयले की खदानों और बिजली कारखानों के बीच भी सड़क चौड़ी होने से सुविधा होगी, समय कम लगेगा। हैदराबाद-वारंगल इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, ककाटिया मेगा टेक्सटाइल पार्क की चौड़ी सड़कों से कनेक्टिविटी, इनका भी सामर्थ्य बढ़ाएगी।
साथियों,
जब देश विकास करता है, विकास के कार्यों में गति आती है, तो कई बार राजनीतिक स्वार्थ के लिए, कुछ विकृत मानस वाले लोग, कुछ ताकतें अपना अफवाह तंत्र rumours अफवाह तंत्र चलाने लगती हैं, लोगों को भड़काने लगती हैं। तेलंगाना में ऐसी ही अफवाहें आजकल ‘सिंगारेणी कोइलरीज कंपनी लिमिटेड-SCCL’ और विभिन्न कोल माइंस को लेकर उड़ाई जा रही है। और मैंने सुना है, हैदराबाद से उसको हवा दी जा रही है। उसमें नए-नए रंग भरे जा रहे हैं। मैं आज जब आपके बीच आया हूं, तो मैं कुछ जानकारी आपको देना चाहता हूं कुछ फैक्ट्स आपके सामने रखना चाहता हूं, कुछ तथ्य आपको बताना चाहता हूं। ये अफवाह फैलाने वाले को ये भी पता नहीं है कि ये झूठ उनका पकड़ा जाएगा। सबसे बड़ा झूठ समझिए और यहां पत्रकार मित्र बैठे हैं, जरा बारीकी से देख ले इसको। SCCL में 51 परसेंट भागीदारी ये तेलंगाना की राज्य सरकार की है, जबकि भारत सरकार की हिस्सेदारी सिर्फ 49 परसेंट है। SCCL के निजीकरण से जुड़ा कोई भी फैसला केंद्र सरकार अपने स्तर पर कर ही नहीं सकती है, 51 परसेंट उनके पास हैं। मैं एक बार फिर दोहराउंगा SCCL के प्राइवेटाइजेशन का कोई प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास विचाराधीन नहीं है और न ही केंद्र सरकार का कोई इरादा है। और इसलिए, मैं अपने भाई-बहनों से आग्रह करता हूं कि किसी अफवाह पर जरा भी ध्यान ना दें। ये झूठ के व्यापारियों को हैदराबाद में रहने दें।
साथियों,
हम सभी ने, देश में कोल माइंस को लेकर हज़ारों करोड़ रुपए के घोटाले होते देखें हैं। इन घोटालों में देश के साथ ही श्रमिकों, गरीबों और उन क्षेत्रों का नुकसान हुआ, जहां ये माइन्स थीं। आज देश में कोयले की बढ़ती हुई जरूरत को देखते हुए कोल माइंस की पूरी पारदर्शिता के साथ नीलामी की जा रही है। जिस क्षेत्र से खनिज निकल रहा है, उसका लाभ वहां रहने वाले लोगों को देने के लिए हमारी सरकार ने DMF यानि डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड भी बनाया है। इस फंड के तहत भी हजारों करोड़ रुपए राज्यों को रिलीज किए गए हैं।
भाइयों और बहनों,
हम ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के मंत्र पर चलते हुए तेलंगाना को आगे बढ़ाना चाहते हैं। तेलंगाना के तेज़ विकास के लिए आप सभी का आशीर्वाद हमें मिलता रहेगा, इसी विश्वास के साथ फिर एक बार आपको ये ढेर सारे विकास कार्यों की बहुत-बहुत बधाई। मेरे किसान भाइयों को विशेष बधाई और इतनी बड़ी तादाद में आप लोग आए, हैदराबाद में कुछ लोगों को आज नींद नहीं आएगी। इतनी बड़ी तादाद में आने के लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। धन्यवाद।
मेरे साथ बोलिए। भारत माता की जय। दोनों मुठ्ठी बंद करके पूरी ताकत से बोलिए।
भारत माता की जय।
भारत माता की जय।
भारत माता की जय।
धन्यवाद जी!
*****
DS/ST/RK
(Release ID: 1875495) Visitor Counter : 137